गोविंदपुर, धनबाद: (विशेष संवाददाता)
झारखंड के रजत स्थापना दिवस के अवसर पर, राज्य भर में चल रहे जनकल्याणकारी कार्यक्रमों की श्रृंखला में एक अत्यंत मार्मिक और उत्साहपूर्ण अध्याय बुधवार को धनबाद जिले के गोविंदपुर प्रखंड अंतर्गत मुर्गा बनी ग्राम में लिखा गया। इस ग्राम के दर्जनों गरीब परिवारों के लिए वह दिन आ गया जब उनके वर्षों पुराने कच्चे मकानों की जगह अबुआ आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित पक्के मकानों में विधिवत गृह प्रवेश का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर पूरा गांव उत्सव के रंग में रंगा दिखा, जहाँ लाभार्थियों की आँखों में खुशी के आँसू और संतोष की चमक साफ झलक रही थी।
यह आयोजन सिर्फ एक गृह प्रवेश समारोह नहीं था, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों के साझा प्रयास का मूर्त रूप था, जिसने गरीबी की बेड़ियों में जकड़े लोगों को सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार दिया।
उत्सव का माहौल और गरिमामय उपस्थिति
सुबह से ही मुर्गा बनी ग्राम में चहल-पहल थी। रंगोली, तोरण द्वार और पारंपरिक गीतों की धुन के बीच, नए मकानों में प्रवेश करने की खुशी हर चेहरे पर बिखरी थी। लाभार्थी परिवारों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ अपने नए घरों में प्रवेश किया, जिसमें पूजा-अर्चना और मंगल कलश की स्थापना प्रमुख रही।
इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने के लिए पंचायत स्तर के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इनमें पंचायत सचिव, रोजगार सेवक, और स्वयं मुखिया प्रमुख थे। सभी अधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से लाभार्थियों से मुलाकात की, उन्हें बधाई दी और उनके सुखद भविष्य की कामना की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सरकार की ग्रामीण विकास के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
स्थापना दिवस की सौगात: राज्यव्यापी कार्यक्रम
यह गृह प्रवेश समारोह झारखंड सरकार द्वारा राज्य के रजत स्थापना दिवस (स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने) के उपलक्ष्य में पूरे प्रदेश में चलाए जा रहे विशाल कार्यक्रम का एक अभिन्न हिस्सा है। सरकार ने इस अवसर को केवल उत्सव तक सीमित न रखकर, इसे जनकल्याण और सामाजिक न्याय के एक व्यापक अभियान में बदल दिया है। इस कार्यक्रम के तहत, राज्य के लाखों गरीब और बेघर परिवारों को पक्का आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
पंचायत सचिव ने इस मौके पर कहा, “झारखंड के लिए यह स्थापना दिवस अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ जश्न मनाने का दिन नहीं है, बल्कि यह उन सपनों को साकार करने का संकल्प लेने का दिन है, जो राज्य के संस्थापकों ने देखा था—एक ऐसा झारखंड, जहाँ हर नागरिक को बुनियादी सुविधाएं मिलें। आज मुर्गा बनी में जो घरों के ताले खुल रहे हैं, वे इस संकल्प की पूर्ति के प्रतीक हैं।”
द्वैध नीति का सफल संगम: पीएम आवास बनाम अबुआ आवास
मुर्गा बनी ग्राम की सफलता की कहानी केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) और झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी अबुआ आवास योजना (AAY) के बीच बेहतरीन तालमेल का उदाहरण है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) – PMAY-G:
केंद्र सरकार द्वारा संचालित यह योजना, देश के हर बेघर परिवार को 2024 तक पक्का मकान उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ शुरू की गई थी। इसके तहत, लाभार्थियों को मैदानी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये (पहाड़ी/दुर्गम क्षेत्रों में 1.30 लाख रुपये) तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस राशि से गुणवत्तापूर्ण और आपदा प्रतिरोधी मकानों का निर्माण सुनिश्चित किया जाता है। धनबाद जैसे खनन प्रभावित क्षेत्रों में, इस योजना ने सबसे अधिक संवेदनशील परिवारों को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान की है।
अबुआ आवास योजना (AAY):
यह योजना झारखंड सरकार की एक पहल है, जो PMAY के तहत कवर न हो पाने वाले या अन्य कारणों से छूट गए अत्यंत गरीब और ज़रूरतमंद परिवारों को तीन कमरों का पक्का आवास प्रदान करती है। अबुआ आवास, PMAY से एक कदम आगे बढ़कर, लाभार्थियों को 2 लाख रुपये से अधिक की राशि और तीन-कक्षीय डिज़ाइन (शौचालय सहित) प्रदान करती है, ताकि ग्रामीण गरीबों को केवल छत ही नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक और बड़ा आशियाना मिल सके। राज्य सरकार ने इस योजना को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है ताकि कोई भी वास्तविक ज़रूरतमंद परिवार आवास के अधिकार से वंचित न रहे।
रोजगार सेवक ने बताया कि दोनों योजनाओं के तहत लाभार्थियों के चयन में पारदर्शिता और ग्राम सभा की भागीदारी सुनिश्चित की गई, जिससे योग्यतम लोगों को लाभ मिल सका। उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित किया गया कि जो लोग PMAY के मानदंडों में फिट नहीं हो पाए, उन्हें अबुआ आवास के माध्यम से लाभ मिले। यह राज्य सरकार की समावेशी विकास की नीति को दर्शाता है।”
खुशियों की कहानी, लाभार्थियों की जुबानी
नए घरों में प्रवेश करने वाले लाभार्थियों की खुशी शब्दों में बयान करना मुश्किल था। वे सभी अत्यंत भावुक और सरकार के प्रति कृतज्ञ थे।
गणेश गोराई( अबुआ आवास लाभार्थी):
“मैं दिव्यांग हूं तो कच्चे घर की मरम्मत करवाना भी मुश्किल हो गया था। टूटी हुई छत और गिरती दीवारों ने हमें डरा दिया था। आज मैं अपने दिव्यांग पिताजी था इस ए मैगनस एकट्स ए मैकेनिकलफर्सके साथ एक सुरक्षित पक्के घर में हूँ। यह सरकार का सहारा है। हमारे लिए यह केवल ईंट और सीमेंट का ढाँचा नहीं है, यह हमारी सुरक्षा और सम्मान है।”
मुखिया और अधिकारियों की प्रसन्नता
स्थानीय मुखिया और पंचायत सचिव ने इस अवसर पर अपनी गहरी खुशी और संतुष्टि जाहिर की।
मुखिया (अख्तर अंसारी):
“आज मुर्गा बनी पंचायत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। जब मैं इन गरीब भाई-बहनों के चेहरों पर खुशी देखता हूँ, तो लगता है कि हमारा प्रयास सफल हुआ। यह योजनाएं साबित करती हैं कि जब केंद्र और राज्य सरकारें गरीब कल्याण के लिए हाथ मिलाती हैं, तो सफलता सुनिश्चित होती है। हम पंचायत स्तर पर हर योजना को ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पंचायत सचि (ओपन टुडू):
“आवास योजनाएं हमारी प्रशासनिक प्राथमिकता रही हैं। हमने लाभार्थियों के चयन से लेकर निर्माण के चरणों तक पूरी निगरानी रखी। यह कार्यक्रम झारखंड के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुँचाने के सरकारी लक्ष्य को पूरा करता है। मेरा मानना है कि हर नागरिक का पक्के घर का सपना पूरा होना चाहिए, और हम इस दिशा में लगातार काम करते रहेंगे। रजत स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में, यह कार्यक्रम गरीबों के लिए एक वास्तविक सौगात है।”
निष्कर्ष: एक नए युग का आरंभ
मुर्गा बनी ग्राम में संपन्न हुआ यह गृह प्रवेश समारोह सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि विकसित झारखंड के संकल्प का एक उज्जवल उदाहरण है। यह दर्शाता है कि कैसे समावेशी विकास की नीतियाँ, राजनीतिक इच्छाशक्ति और ज़मीनी स्तर के अधिकारियों की मेहनत रंग लाती है। प्रधानमंत्री आवास और अबुआ आवास के तहत मिले ये पक्के मकान, अब इन परिवारों के लिए केवल निवास स्थान नहीं हैं, बल्कि बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा की नींव हैं।
इस उत्साहपूर्ण माहौल के साथ, मुर्गा बनी ग्राम ने राज्य के विकास की गाथा में एक नया, मज़बूत और पक्का अध्याय जोड़ दिया है। यह कहानी लाखों उन परिवारों के लिए आशा की किरण है, जो आज भी अपने पक्के घर का सपना देख रहे हैं।
