वर्तमान में बिहार की राजनीति में एनडीए (NDA) और महागठबंधन (महागठबंधन/INDIA Bloc) के बीच सीधी टक्कर दिख रही है, जिसमें कुछ प्रमुख कारक परिणाम को प्रभावित कर रहे हैं।
यहाँ आपकी टिप्पणियों पर आधारित विस्तार से विश्लेषण दिया गया है:
🗳️ बिहार में बदलती राजनीतिक परिस्थितियां: एक विस्तृत विश्लेषण
1. प्रशांत किशोर और जन सुराज पार्टी (JSP) का प्रभाव
* तीसरे मोर्चे की संभावना: प्रशांत किशोर (PK) ने अपनी पदयात्रा और बीजेपी के मंत्रियों पर राजनीतिक हमलों के माध्यम से एक तीसरे मोर्चे की उम्मीद जगाई थी, जो स्थापित दलों से असंतुष्ट मतदाताओं को आकर्षित कर सके। उनका नाम और उनकी तीखी आलोचनाएँ क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
* स्थानीय प्रभाव की कमी: जैसा कि आपने उल्लेख किया है, जन सुराज पार्टी ने तारापुर विधानसभा से सम्राट चौधरी के सामने डॉ. संतोष कुमार को टिकट दिया है। हालांकि PK का नाम चल रहा है, लेकिन उम्मीदवारों का स्थानीय स्तर पर वह उतना व्यापक प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है। अधिकांश ओपिनियन पोल के अनुसार, जन सुराज पार्टी को बहुत सीमित संख्या में सीटें मिलने की संभावना है (कुछ सर्वेक्षणों में 6-7% वोट शेयर का अनुमान है), जो मुख्य रूप से NDA और महागठबंधन के बीच के मुकाबले को प्रभावित कर सकती है।
* मतों का ध्रुवीकरण: PK की पार्टी के उम्मीदवार वोटों को काट सकते हैं (वोट कटवा), जिससे यह तय होगा कि उन्हें किस गठबंधन से अधिक नुकसान होता है। उनका चुनाव नहीं लड़ना किसी एक गठबंधन के लिए अप्रत्यक्ष रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।
2. एनडीए का “मास्टर स्ट्रोक”: जीविका दीदियों को ₹10,000
* महिला सशक्तिकरण और चुनावी लाभ: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (जो NDA का हिस्सा हैं) द्वारा मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के खाते में ₹10,000 की पहली किस्त (जो बाद में ₹2 लाख तक जा सकती है) हस्तांतरित करना एक महत्वपूर्ण चुनावी कदम माना जा रहा है।
* जमीनी स्तर पर प्रभाव: जीविका दीदी समूह ग्रामीण बिहार में महिलाओं का एक बड़ा और संगठित वर्ग है। इस योजना का सीधा लाभ मिलने से एनडीए को महिला मतदाताओं का मजबूत समर्थन मिल सकता है। यह कदम महिलाओं के बीच नीतीश कुमार की छवि और डबल इंजन सरकार के लाभ को मजबूती से स्थापित करता है। यह एक ऐसा “गेम चेंजर” हो सकता है जो महागठबंधन के सामाजिक न्याय के दावों को चुनौती देता है।
3. सम्राट चौधरी और पारिवारिक विरासत
* स्थानीय बनाम राष्ट्रीय: बीजेपी के कद्दावर नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तारापुर (या अन्य संबंधित क्षेत्र) से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पक्ष में दो मजबूत कारक हैं:
* पारिवारिक प्रभाव: उनके पिता, पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी, का क्षेत्र में दशकों से मजबूत प्रभाव रहा है। यह विरासत उन्हें एक मजबूत स्थानीय आधार प्रदान करती है।
* पार्टी संगठन: बीजेपी के मजबूत संगठनात्मक ढांचे और राज्य में उपमुख्यमंत्री के रूप में उनकी स्थिति से भी उन्हें लाभ मिल रहा है।
* जन सुराज की चुनौती: जन सुराज के उम्मीदवार संतोष कुमार की स्थानीय पकड़ कमजोर हो सकती है, लेकिन प्रशांत किशोर के नाम और क्षेत्रीय असंतोष के कारण वह कुछ हद तक सम्राट चौधरी के वोटों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।
4. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘लाभार्थी’ (Labharthi) वर्ग
* राष्ट्रीय नेतृत्व का प्रभाव: जैसा कि आपने सही कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और उनकी विश्वसनीयता एनडीए के लिए एक बड़ा लाभ है। उनकी जनसभाएं, साथ ही केंद्र सरकार की विभिन्न लाभार्थी योजनाओं (जैसे उज्ज्वला योजना, पीएम आवास योजना, मुफ्त राशन, किसान सम्मान निधि) के प्राप्तकर्ता ‘लाभार्थी वर्ग’ एनडीए के पक्ष में मजबूती से खड़ा दिख रहा है।
* चुनावी माहौल: प्रधानमंत्री के आक्रामक चुनाव प्रचार और उनके रोड शो से एनडीए के पक्ष में एक सकारात्मक माहौल बनता दिख रहा है, जो राज्य के मुद्दों पर हावी हो सकता है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, बिहार में राजनीतिक स्थिति अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बनी हुई है।
* एक ओर, महागठबंधन जातीय समीकरणों, बेरोजगारी जैसे मुद्दों और युवा नेता तेजस्वी यादव की ऊर्जा के साथ चुनौती पेश कर रहा है।
* दूसरी ओर, एनडीए जीविका दीदियों को ₹10,000 जैसी योजना, प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन अनुभव के साथ अपनी बढ़त बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
* प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी तीसरे मोर्चे के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है, जो भले ही बड़े पैमाने पर सीट न जीते, लेकिन मतदाताओं के ध्रुवीकरण और नतीजों को अप्रत्याशित बनाने की क्षमता रखती है।
यह चुनाव इस बात पर निर्भर करेगा कि जीविका दीदियों का समर्थन और मोदी फैक्टर कितना प्रभावी होता है, और जन सुराज पार्टी किस गठबंधन के वोट बैंक में सबसे ज्यादा सेंध लगाती है।

By Manish Jha

MANISH JHA EDITOR OF NEWS 69 BHARAT

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