धनबाद-धनबाद के निरसा विधानसभा क्षेत्र के चिरकुंडा थाना क्षेत्र में इन दिनों अनेक अवैध नर्सिंग होम संचालित हो रहे है। चिरकुंडा पंचेत मार्ग पर स्थित राज नर्सिंग होम इनमें से एक है।
जब हमारी टीम यहां पहुंची तो आश्चर्य में पड़ गई !लाइसेंस फेल ,डॉक्टर झोलाछाप, नर्स अप्रशिक्षित ,दवा नकली, मरीज की सुरक्षा भगवान भरोसे!
परंतु यहां इलाज होती है सभी बीमारियों की!
बोर्ड पर लिखा है डॉक्टर का नाम, जिसमें किसी से संपर्क नहीं हो सकता ,अर्थात नर्सिंग होम के लिए एक भी गाइडलाइंस का पालन यहां नहीं हो रहा है।
सूत्र बताते हैं जरूरत पड़ने पर मरीज से मोटी रकम वसूल कर, बंगाल से डॉक्टर भी यहां बुलाया जाता है।
नर्सिंग होम के आगे एक दवा की दुकान भी है। जिसमें फार्मासिस्ट के जगह पर साधारण मैट्रिक पास व्यक्ति दवा बेचने का काम करता है। आप समझ सकते हैं स्थिति क्या रहती होगी
संचालक जो वहां उपस्थित थे, वह स्वयं इंटर पास।
ऐसे में झोलाछाप डॉक्टर कितनों की जाने ? कब और कैसे खतरे में डाल देंगे कहना मुश्किल है!
मुख्य शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर होने के कारण यहां सिविल सर्जन जांच करने हेतु पहुंच नहीं पाते और सूचना देने पर वह नज़र-अंदाज करते हैं, इसे आप मिली-भगत कहेंगे या लापरवाही यह मैं आप पर छोड़ता हूं?
जब इस नर्सिंग होम , या यहां चल रहे अनेक नर्सिंग होम की जानकारी आप ऑनलाइन चेक करेंगे तो आपको मिलेगा ,सभी को स्थाई रूप से बंद है । अर्थात सरकार की नजर में यह नर्सिंग होम स्थाई रूप से बंद है ।फिर भी लगातार यहां अवैध रूप से इलाज की जाती है, मरीज से मोटी रकम वसूली जाती है ।
सभी तरह की होती है इलाज
मामला तब संज्ञान में आया जब इस नर्सिंग होम में एक दुर्घटनाग्रस्त मरीज को गलत सुई लगा दी गई। मामला बिगड़ता देख उसे अन्य जगह भेजा गया।मरीज के परिजनों को भी मुआवजा मिल गया ।जिससे वह शांत हो गए, मीडिया के सामने कहने से परहेज परहेज करने लगे।
यहां प्रसव, दुर्घटना एवं सभी बीमारियों वाले रोगियों का का न सिर्फ देखभाल होता है ,बल्कि इलाज भी किया जाता है।
सुरक्षा का कोई मानक नहीं!
सुरक्षा के दृष्टि से भी यह नर्सिंग होम ख़तरनाक है, जला बोर्ड ,कमजोर तार, जली स्विच यह बताने के लिए काफी है कि,आने वाले समय में यहां मरीजों को आग लगने की स्थिति में दौड़ने के लिए तैयार रहना होगा ।
आग लगने की स्थिति में अग्नि बुझाने का कोई भी उपकरण यहां मौजूद नहीं है।
अर्थात राम भरोसे नर्सिंग होम!
ऐसे खुला राज
नावाडीह की महिला (पैतृक गांव) के पति ने बताया कि उनके पत्नी का इलाज इसी नर्सिंग होम में लगभग एक वर्ष पहले हुआ था। वह मामूली बुखार से पीड़ित थी। आज वह गंभीर बीमारी से जूझ रही है ,रिम्स में उसका इलाज चल रहा है।
पति ने कहा कि उनके पत्नी की गलत इलाज होने के चलते किडनी फेल हो गई और आज वह परेशान है। चुकी अस्पताल की ओर से कोई भी प्रिसक्रिप्शन उन्हें नहीं दिया गया था, इसलिए प्रमाण के तौर पर कुछ पेश नहीं कर पाए। परंतु भावुक होकर उन्होंने आपबीती बताई और आग्रह किया कि ऐसे अस्पताल को सरकार तत्काल बंद करें अन्यथा मेरी तरह अनेक लोग कोई अपनी पत्नी को ,कोई अपने मां को ,कोई अपने बेटी को, कोई अपने भाई को खो देंगे।
पढ़े-लिखे लोग भी खा जाते हैं धोखा
ऐसे लोगों के जाल में न सिर्फ कम पढ़े लिखे लोग बल्कि पढ़े-लिखे लोग भी फंस जाते हैं।
फेल हुए लाइसेंस (ऑनलाइन सर्टिफिकेट) को नर्सिंग होम में इस तरह लटकाया जाता है ,मानो सरकार ने उन्हें अवैध रूप से नर्सिंग होम संचालित करने का लाइसेंस दे दिया हो!
मरीज एवं उनके परिजन मानसिक तनाव में होते हैं ,जिसके कारण इस फेल लाइसेंस को कभी पढ़ते नहीं ,और उसे सरकारी आदेश मानकर इलाज कराते हैं
कैसे खेला जाता है खेल?
अस्थाई रूप से नर्सिंग होम संचालित करने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाता है ।जिसका प्रोविजनल सर्टिफिकेट बिना किसी जांच के ही उपलब्ध करा दिया जाता है। परंतु स्थाई सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए उन्हें सभी मानकों को पूर्ण करना पड़ता है।
सामान्यतः मानकों को पूरा करना आसान नहीं होता । सरकार आम जनों के हित में नियम बनाती है, जिससे सभी स्वस्थ रहें, सभी सुरक्षित रहें।
एक वर्ष के लिए मिले प्रोविजनल सर्टिफिकेट के आधार पर(उसे परमानेंट सर्टिफिकेट के तरह दिखावा कर) इस तरह अवैध नर्सिंग होम का संचालन किया जाता है।